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PRESS NOTE

NHRC_NS_136_17042025 - BRO PIL

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प्रेस विज्ञप्ति //

BRO की महिला श्रमिकों को मातृत्व लाभ दिलाने की ऐतिहासिक पहल सुप्रीम कोर्ट में HRPC की चेयरपर्सन डॉ. ज्योति ज़ोंगलुजू कर रही हैं पैरवी।

नई दिल्ली:

देश की सुरक्षा और सीमाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation - BRO) में कार्यरत महिला श्रमिकों को भी अब उनके संवैधानिक और वैधानिक अधिकार मिलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। BRO में अस्थायी, दैनिक वेतन या मस्टर रोल पर कार्यरत महिला श्रमिकों को मातृत्व लाभ दिलाने हेतु दायर एक जनहित याचिका (PIL) अब सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आ चुकी है, जिसकी सक्रिय और प्रभावशाली पैरवी सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (HRPC) की चेयरपर्सन डॉ. ज्योति ज़ोंगलुजू द्वारा की जा रही है।

यह याचिका Border Road Organization Labour Union (BROLU) के प्रतिनिधि श्री लेकी त्सेरिंग द्वारा दायर की गई है, जिसमें यह मांग की गई है कि BRO के तहत देश के विभिन्न भागों में कार्यरत उन महिला श्रमिकों को मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 तथा संशोधन अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार समस्त वैधानिक सुविधाएं और लाभ प्रदान किए जाएं, जो अभी तक इन अधिकारों से वंचित हैं।

मामले की पृष्ठभूमि और संवेदनशीलता:

BRO में कार्यरत हजारों महिला श्रमिक वर्षों से कठिन परिस्थितियों में कार्य कर रही हैं। वे ऊँचाई वाले दुर्गम इलाकों में सड़क निर्माण, रखरखाव, सुरंगों और पुलों जैसे भारी-भरकम कार्यों में पुरुष श्रमिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर योगदान दे रही हैं। लेकिन इन महिलाओं को प्रायः किसी भी प्रकार का मातृत्व अवकाश, चिकित्सा सुविधा या अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं दिए जाते हैं।

यह स्थिति न केवल मातृत्व लाभ अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 42 (काम की उचित स्थिति और मातृत्व राहत) के भी प्रतिकूल है। यह मामला भारत की न्याय प्रणाली के समक्ष एक ऐसा सवाल खड़ा करता है कि क्या देश के विकास में अहम योगदान देने वाली महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:

दिनांक 16 अप्रैल 2025, बुधवार को यह मामला सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 7 में आइटम नंबर 10 के रूप में सूचीबद्ध हुआ। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट की ख्यातिप्राप्त अधिवक्ता डॉ. ज्योति ज़ोंगलुजू ने जबरदस्त संवेदनशीलता, विधिक तत्परता और मानवीय दृष्टिकोण के साथ महिला श्रमिकों की दशा को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया।

डॉ. ज़ोंगलुजू, जो ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (HRPC) की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने इस मामले को मात्र एक कानूनी मुद्दा न मानकर इसे एक मानवाधिकार के हनन से जोड़ते हुए प्रस्तुत किया। उनके द्वारा अदालत में दिए गए तर्कों में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि कैसे BRO की महिला श्रमिकों के साथ व्यवस्था ने एक दीर्घकालिक असमानता को जन्म दिया है, जिसे अब सुधारे जाने की आवश्यकता है।

न्यायालय की प्रतिक्रिया:

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए अधिवक्ता डॉ. ज्योति ज़ोंगलुजू की दलीलों को गंभीरता से संज्ञान में लिया और BRO की महिला अस्थायी श्रमिकों की समस्याओं को स्वीकार किया। अदालत ने भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय, और अरुणाचल प्रदेश सरकार सहित अन्य सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

महिला अधिकारों की दिशा में मील का पत्थर:

यह मामला देश में महिला श्रमिकों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका के पक्ष में फैसला देती है, तो देशभर में अस्थायी और दैनिक वेतन पर कार्यरत लाखों महिलाओं को मातृत्व लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक परिवर्तन संभव होगा।

 

भवदीया,
रश्मि बाला
राष्ट्रीय सचिव
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (एचआरपीसी)

HRPC CHHATTISGARH - INTERNATIONAL WOMENS DAY CELEBRATION PRESS NOTE

// प्रेस विज्ञप्ति //

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर HRPC कोरबा द्वारा महिलाओं का सम्मान समारोह संपन्न

कोरबा (छत्तीसगढ़) – अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (एचआरपीसी) द्वारा महिलाओं के सम्मान में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पुष्प पल्लव के निवास स्थान कार्यालय, कोरबा में संपन्न हुआ, जिसका नेतृत्व कोरबा संभाग की प्रदेश सचिव प्रीति महंत और एक्टिव मेम्बर श्रीमती नमिता दास ने किया। इस समारोह का उद्देश्य समाज में महिलाओं के योगदान को पहचान देना और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था।

समारोह की मुख्य अतिथि कोरबा प्रभारी श्रीमती लक्ष्मी मूर्ति थीं, जिन्होंने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया। उनके साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती कृष्णा दुबे और सीमा तिवारी भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के दौरान कोरबा की कई उत्कृष्ट महिलाओं को उनके विशिष्ट कार्यों के लिए प्रशस्ति पत्र और लाल गुलाब देकर सम्मानित किया गया।

सम्मानित महिलाओं में मूर्ति जी (पतंजलि के योगा और मेडिटेशन क्लास की प्रशिक्षक), संध्या चतुर्वेदी (फिजियोथेरेपिस्ट, जो गरीबों में दवाइयों की आपूर्ति करती हैं), संध्या दीक्षित (योगा विज्ञान की विशेषज्ञ), ज्योति साहू (स्वयं का योगा क्लास संचालित करने वाली), सीमा तिवारी (एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट) और सलिता सिंह (सेवा भारती NGO के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाली) शामिल थीं।

मुख्य अतिथि श्रीमती लक्ष्मी मूर्ति ने अपने संबोधन में कहा, *"ऐसे कार्यक्रम महिलाओं का मनोबल बढ़ाते हैं और समाज को प्रेरणा देते हैं। हमें इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी करने चाहिए ताकि महिलाओं के योगदान को और अधिक मान्यता मिल सके।"*

इस अवसर पर श्वेता पाण्डेय, ज्योति पंडित, भगवती महंत, आशा सोलंकी, सीमा राठौर, संतोषी राठौर, सुमन, अर्चना वर्मा, शीला महंत, तमन्ना और एचआरपीसी के विभिन्न पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।

इस सम्मान समारोह का प्रमुख उद्देश्य न केवल महिलाओं के अद्वितीय कार्यों को पहचान दिलाना था, बल्कि समाज में महिलाओं के अधिकारों और उनके प्रति जागरूकता फैलाना भी था। एचआरपीसी की ओर से यह संदेश दिया गया कि महिलाओं को प्रोत्साहित करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना संगठन की प्राथमिकता है।

भवदीया,

प्रीति महंत
प्रदेश सचिव [महिला]
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (छत्तीसगढ़)

HRPC RAJASTHAN - INTERNATIONAL WOMENS DAY CELEBRATION PRESS NOTE

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// प्रेस विज्ञप्ति //

जागरूकता कार्यक्रम के साथ मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

निंबाहेड़ा, 6 मार्च: ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (HRPC), राजस्थान राज्य द्वारा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, रठाजना गांव में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा और उनके सशक्तिकरण को लेकर चर्चा की गई एवं राज्य में नाम रोशन करने वाली महिलाओं को एचआरपीसी महिला सामाजिक प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केली सरपंच ममता टेलर एवं कली चौकी इंचार्ज एएसआई विश्वजीत परिहार थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य अध्यक्षा महिला सेल शिल्पा जैन, राज्य उपाध्यक्ष संतोष शर्मा, रेखा रानी तिवारी, काउंसलर सनी सिंघवी, प्रधानाचार्य श्री राम रावत, जिला अध्यक्ष दौलत सिंह तथा बड़ी सादड़ी तहसील अध्यक्ष विनोद सोनी सहित अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात स्कूल प्रशासन द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। इस दौरान भगवती शर्मा ने संगठन द्वारा किए गए विभिन्न सामाजिक कार्यों की जानकारी साझा की।

काउंसलर सनी सिंघवी ने विद्यार्थियों को करियर संबंधी मार्गदर्शन दिया, जबकि शिल्पा जैन ने सोशल मीडिया से जुड़ी जागरूकता पर चर्चा की। कार्यक्रम में निंबाहेड़ा हनुमान मंदिर परिसर में निशुल्क शस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त कर रही बालिकाओं ने शस्त्र प्रदर्शन किया, जिससे प्रेरित होकर संगठन की सदस्य भगवती शर्मा ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

इस कार्यक्रम में सरपंच ममता टेलर द्वारा विद्यालय की प्रतिभाशाली बालिकाओं को साइकिल वितरण की गई एवं स्पा हर्बल ब्यूटी पार्लर की संचालिका जाह्नवी सेन ने गरीब बच्चियों को निशुल्क पार्लर कोर्स सिखाने की घोषणा की।

कार्यक्रम का मंच संचालन दिव्या सिंघवी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर विजिया जोशी, भगवती शर्मा, वर्षा चपलोत, अंजू बाबेल, चेतना माली, लक्ष्मी कोठारी, सीमा जैन, सरिता राणा, जाह्नवी सेन, हेमलता लड्ढा, दीपक जैन, सतीश लड्ढा, विनोद सोनी, स्कूल स्टाफ एवं ग्रामीण महिलाएं भी उपस्थित रहीं।

 भवदीया,

शिल्पा जैन
प्रदेश अध्यक्षा [महिला]
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (राजस्थान)

HRPC/NS/122/24FEB2025

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HRPC राष्ट्रीय कार्यालय द्वारा प्रमुख सचिव, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), भारत सरकार को भेजा गया पत्र।

निर्दोष छात्र के प्रति अमानवीय अत्याचार के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई, मुआवजा, पुनर्वास एवं भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु तत्काल प्रभावी कदम उठाने के संबंध में लिखा गया है पत्र।

नई दिल्ली, 24 फरवरी 2025

ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (HRPC) ने उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के बिरौरी गांव स्थित एक निजी विद्यालय में कक्षा 3 के मासूम छात्र के साथ हुई अमानवीय घटना को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), भारत सरकार को पत्र भेजकर सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह घटना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि भारत के बाल संरक्षण कानूनों की भी अवहेलना करती है।

पीड़ित छात्र को विद्यालय के शिक्षक द्वारा क्रूर दंड दिया गया, जिसमें उसे "मुर्गा" बनने को मजबूर किया गया और फिर शिक्षक ने उसके ऊपर बैठकर उसे शारीरिक प्रताड़ना दी, जिससे उसका पैर फ्रैक्चर हो गया। इतना ही नहीं, शिक्षक ने उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया। विद्यालय प्रशासन की लापरवाही इतनी अधिक थी कि बच्चे को समय पर चिकित्सा सहायता तक नहीं दी गई। इस प्रकार की घटनाएँ बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं और समाज में शिक्षा व्यवस्था की क्रूर सच्चाई को उजागर करती हैं।

HRPC ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और शिक्षा मंत्रालय से दोषियों के खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्रवाई की माँग की है। संगठन की प्रमुख माँगों में दोषी शिक्षक की तत्काल गिरफ्तारी, न्यूनतम 5 वर्षों की सजा और उसे आजीवन शिक्षण कार्य से प्रतिबंधित करना शामिल है। इसके अलावा, पीड़ित छात्र को ₹5 लाख का मुआवजा देने, उसकी संपूर्ण चिकित्सा, शिक्षा और पुनर्वास की जिम्मेदारी सरकार द्वारा लेने की मांग की गई है।

विद्यालय प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए HRPC ने विद्यालय की मान्यता तत्काल रद्द करने और प्रबंधन की भूमिका की निष्पक्ष जांच कर दोषी पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए देशभर के विद्यालयों में कठोर दिशानिर्देश लागू करने की सिफारिश की गई है। इस संदर्भ में सभी विद्यालयों में बाल संरक्षण समितियाँ गठित करने, शिक्षकों और प्रशासन के लिए अनिवार्य मानवाधिकार एवं बाल संरक्षण प्रशिक्षण लागू करने तथा विद्यालयों में सीसीटीवी निगरानी प्रणाली स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।

HRPC की राष्ट्रीय सचिव, सुश्री रश्मि बाला ने इस घटना को समाज और न्याय व्यवस्था की परीक्षा बताते हुए कहा कि सरकार और संबंधित विभागों को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने अपील की कि दोषियों को कठोरतम सजा दिलाई जाए और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

 

हम अक्सर देखते आए हैं कि ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल मानवाधिकार संरक्षण के लिए भारत में कार्यरत एक प्रतिष्ठित संस्था है, जो आए दिन इस प्रकार के मामलों के लिए आवाज उठाती रहती है। संस्था ने हजारों लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए शासन-प्रशासन के साथ मिलकर कदम उठाए हैं।

भवदीया,
रश्मि बाला
राष्ट्रीय सचिव
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (एचआरपीसी)

HRPC/NS/113 | DATE: 14 FEBRUARY 2025

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ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल राष्ट्रीय कार्यालय ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार को लिखा पत्र।

देश में अश्लीलता फैलाने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही एवं भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकने हेतु कठोर कानून बनाने के संबंध में लिखा गया है पत्र।

ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (एचआरपीसी) की राष्ट्रीय सचिव सुश्री रश्मि बाला ने गृह मंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिखकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा अश्लील एवं अनैतिक सामग्री के प्रसार के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की माँग की है। इस पत्र में उन्होंने इस प्रकार की डिजिटल सामग्री के युवाओं पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव और भारतीय संस्कृति के ह्रास पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

मुख्य बिंदु:

1.      कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स अपने व्यक्तिगत एवं आर्थिक लाभ के लिए अश्लील एवं अनैतिक कंटेंट का निर्माण कर रहे हैं।

2.      यह प्रवृत्ति भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक मूल्यों के लिए घातक साबित हो रही है।

3.      डिजिटल माध्यमों पर नशे, अवैध गतिविधियों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक कंटेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है।

4.      इस तरह की सामग्री भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दंडनीय होनी चाहिए।

एचआरपीसी द्वारा दिए गए सुझाव:

1.      सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और अनैतिक कंटेंट पोस्ट करने वालों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

2.      डिजिटल सामग्री को नियंत्रित करने के लिए साइबर कानूनों को और कठोर बनाया जाए।

3.      सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश दिए जाएँ कि वे इस तरह की सामग्री को तुरंत ब्लॉक करें।

4.      डिजिटल कंटेंट की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन किया जाए।

5.      भारतीय संस्कृति और नैतिकता के विरुद्ध कंटेंट पोस्ट करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जाए।

सुश्री रश्मि बाला ने कहा, "यदि इस विषय पर शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो सामाजिक मूल्यों एवं नैतिकता का पतन होगा, जिससे युवा पीढ़ी गलत दिशा में अग्रसर होगी। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस विषय पर तत्काल संज्ञान लिया जाए।

हम अक्सर देखते आए हैं कि ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल मानवाधिकार संरक्षण के लिए भारत में कार्यरत एक प्रतिष्ठित संस्था है, जो आए दिन इस प्रकार के मामलों के लिए आवाज उठाती रहती है। संस्था ने हजारों लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए शासन-प्रशासन के साथ मिलकर कदम उठाए हैं।


भवदीया,
रश्मि बाला
राष्ट्रीय सचिव
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल (एचआरपीसी)

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